Description: रुद्राक्ष की माला - देवाधिदेव महादेव भगवान शिवशंकर के अश्रुओं से रुद्राक्ष का पौधा ऊगा और उसके फल रुद्राक्ष कहलाये। रुद्राक्ष को अत्यन्त पवित्र माना गया है। एक से ग्यारह मुखी तक रुद्राक्ष पाये जाते हैं और इनके अनेकानेक शुभकारक फल बताये गये हैं। रुद्राक्ष कण्ठ में, हाथ की कलाइयों व बाजू में, सिर पर और कमर में भी धारण करने का प्रचलन है। रुद्राक्ष अनेक रोगों को रोकने व दूर करने वाला, मन की शाँति देने वाला, पुण्य लाभदायक भी है। कण्ठ में 108 पंचमुखी मध्यम आकार के रुद्राक्ष की माला धारण करना श्रेष्ठतम कहा गया है, जिसका फल शिव जी की अनन्त कृपा है।
Description: वैजयन्ती माला - वैजयन्ती पुष्पों के बीजों से निर्मित वैजयन्ती माला भगवान श्रीकृष्ण के कण्ठ में सदा शोभायमान रहती है। इसकी आभा अग्नि, चन्द्र व सूर्य के समान फैलती है। श्वेत, भूरे, हल्के बैगनी रंग के मिश्रित बीजों की यह माला सभी प्रकार के अस्त्र शस्त्रों के दुष्प्रभावों से रक्षा करने वाली बताई गई है। इसको गंगाजल से शुद्ध कर धारण करने से विजय प्राप्ति, महालक्ष्मी की कृपा, नवग्रहों के दोषों व दुष्प्रभाओं से मुक्ति होती है।
Description: कमल बीजों अथवा कमल गट्टों की माला - कमल पुष्पों में महालक्ष्मी का वास होता है, भगवान विष्णु की नाभि से कमल और भगवान ब्रह्मा की उत्पत्ति बताई गई है। कमल के सूखे बीजों की यह माला अत्यन्त प्रभावकारी व शक्तिशाली बताई गई है। इसको पहनने की परम्परा तो अधिक नहीं है किन्तु महालक्ष्मी के सभी अनुष्ठानों में कमल गट्टे की माला से पाठ व हवन करने से तत्काल मंत्र सिद्धि व अनुष्ठान का फल प्राप्त हो जाता है, ऐसी मान्यता है।
Description: तुलसी की माला - सर्वमान्य है कि तुलसी की माला मन को पवित्र, स्थिर, और शाँत करने वाली तथा अनेक लाभों को प्रदान करने वाली है। भगवान विष्णु को प्रिय तुलसी अनेक रोगों से रक्षा करती है और रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से होने देती है। मान्यता यह भी है कि तुलसी और रुद्राक्ष का माला एक साथ धारण नहीं करना चाहिये। भगवान विष्णु के सभी मंत्रों के जाप के लिये तुलसी माला सर्वश्रेष्ठ मानी गई है।
Description: लाल चन्दन माला - लाल चन्दन को रक्त चन्दन तथा देवी चन्दन भी कहा जाता है। अशाँत चेतना व मन वाले, शीघ्र क्रोधित होने व तनावग्रस्त होने वाले, अस्थिर मानसिकता वाले वात रोगियों की मनः शाँति के लिये लाल चन्दन की माला धारण करना अत्यन्त लाभदायक माना गया है। कुबेर पूजा, देवी मंत्रों के जाप, मंगल ग्रह के दोष की निवृत्ति के लिये देवी चन्दन की माला धारण की जाती है।
Description: स्फटिक की माला - स्फटिक बर्फ के सदृष्य पारदर्शी, श्वेत, रंगहीन, निर्मल पत्थर है। यह भारी और शीत प्रकृति का चमकीला और अधिकतर हीरे के आकार के दाने वाला मिलता है। वैदिक व लोकिक मान्यताओं के अनुसार स्फटिक शुक्र ग्रह से सम्बन्धित है और मन को शाँति, धैर्य, बलदायक, धन, सम्पत्ति, वीर्यवर्धक तथा यश वृद्धिकारक होता है। इसे पाप नाशक, पुष्प दायक, स्वास्थ्यवर्धक और मंत्रों की सिद्धि में अत्यन्त उपयोगी माना गया है। स्फटिक की माला कण्ठ में धारण करना ही श्रेष्ठकर होता है।
Description: It is a small bag which resembles the shape of a cow's mouth. The mala and your right hand are both placed inside the Gaumukhi so that they are obscured from view. With your hand in the bag, you then begin to rotate the mala, the bottom of which is supported by the bottom of the bag.